तालिबान बनाम पाकिस्तान: किसका पलड़ा भारी, कौन पहले होगा बर्बाद?
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शनिवार को हुई झड़पों में 19 पाकिस्तानी सैनिक और 3 अफगानी नागरिकों की मौत हुई। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि तालिबान ने बिना किसी उकसावे के भारी हथियारों से हमला किया। इसके जवाब में पाकिस्तानी सेना ने भी कार्रवाई की, जिसमें 15 से अधिक तालिबान लड़ाके मारे गए।
मंगलवार को पक्तिका प्रांत में पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक में 51 लोग, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, मारे गए थे। इस घटना ने तालिबान को उकसाया, जिसके चलते सीमा पर झड़पें और तेज हो गईं।
तालिबान ने हमेशा खुद को अफगानिस्तान की सबसे बड़ी ताकत के रूप में पेश किया है। उसने दो बार काबुल पर कब्जा किया है और अपने विरोधियों को कड़ी चुनौती दी है। पाकिस्तान के लिए तालिबान से लड़ना आसान नहीं होगा, खासकर तब जब उसकी अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में है।
हालांकि, पाकिस्तान भी तालिबान की ताकत और रणनीतियों से परिचित है। यदि संघर्ष बड़ा रूप लेता है, तो दोनों के लिए भारी नुकसान की संभावना है।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। हालिया घटनाओं में दोनों पक्षों के बीच हुई गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई ने स्थिति को और भड़काया है। शनिवार को हुई झड़पों में 19 पाकिस्तानी सैनिक और 3 अफगानी नागरिकों की मौत हुई। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि तालिबान ने बिना किसी उकसावे के भारी हथियारों से हमला किया। इसके जवाब में पाकिस्तानी सेना ने भी कार्रवाई की, जिसमें 15 से अधिक तालिबान लड़ाके मारे गए।
तालिबान का पलटवार
तालिबान ने दावा किया कि यह हमला हाल ही में हुए पाकिस्तानी हवाई हमलों का जवाब था। मंगलवार को पक्तिका प्रांत में पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक में 51 लोग, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, मारे गए थे। इस घटना ने तालिबान को उकसाया, जिसके चलते सीमा पर झड़पें और तेज हो गईं।
कौन, किस पर होगा भारी?
पाकिस्तान और तालिबान के बीच संघर्ष की स्थिति में दोनों के लिए चुनौतियां गंभीर हैं। हालांकि पाकिस्तान के पास आधुनिक सैन्य ताकत और हथियार हैं, तालिबान का मुकाबला करने का उसका अनुभव अच्छा नहीं रहा है। तालिबान ने अतीत में सोवियत यूनियन और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों को हराकर अफगानिस्तान से बाहर कर दिया है।
तालिबान का रिकॉर्ड और रणनीति
तालिबान ने हमेशा खुद को अफगानिस्तान की सबसे बड़ी ताकत के रूप में पेश किया है। उसने दो बार काबुल पर कब्जा किया है और अपने विरोधियों को कड़ी चुनौती दी है। पाकिस्तान के लिए तालिबान से लड़ना आसान नहीं होगा, खासकर तब जब उसकी अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में है।
टीटीपी: संघर्ष की जड़
पाकिस्तान और तालिबान के बीच तनाव का एक बड़ा कारण तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) है। टीटीपी का उद्देश्य पाकिस्तान सरकार को गिराकर वहां इस्लामी कानून आधारित शासन स्थापित करना है। अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा के कबायली इलाके से संचालित होने वाला यह समूह पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
पाकिस्तान और तालिबान का रिश्ता
तालिबान को दशकों तक पाकिस्तान का समर्थन मिला है। पाकिस्तान ने उसे शरण, आर्थिक मदद और कूटनीतिक सहयोग दिया। 9/11 हमले के बाद, जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया, कई तालिबान नेताओं ने पाकिस्तान में शरण ली। इस दौरान टीटीपी का उदय हुआ, जो अब पाकिस्तान के लिए संकट बन गया है।
क्या तालिबान है तैयार?
तालिबान पाकिस्तान की सैन्य ताकत और रणनीतियों को अच्छी तरह समझता है। हालांकि, पाकिस्तान भी तालिबान की ताकत और रणनीतियों से परिचित है। यदि संघर्ष बड़ा रूप लेता है, तो दोनों के लिए भारी नुकसान की संभावना है।
फिलहाल अगर यह संघर्ष बढ़ता है, तो दोनों देशों के लिए हालात खराब हो सकते हैं। पाकिस्तान की आर्थिक कमजोरी और तालिबान की लड़ाई का लंबा अनुभव इसे और जटिल बना सकता है। फिलहाल, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों पक्ष इस तनाव को कैसे संभालते हैं।