भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार: राजेश खन्ना की बेमिसाल जिंदगी

Sun 29-Dec-2024,05:39 PM IST +05:30

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भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार: राजेश खन्ना की बेमिसाल जिंदगी Rajesh Khanna
  • 1965 में यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेयर द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में लगभग 10,000 लोगों ने हिस्सा लिया था, लेकिन पहला स्थान राजेश खन्ना ने हासिल किया। इसके बाद 1966 में उन्होंने फिल्म 'आखिरी खत' से डेब्यू किया। यह फिल्म भारत की ऑस्कर में पहली आधिकारिक एंट्री बनी थी।

  • 1969 से 1972 के बीच, राजेश खन्ना ने लगातार 17 सुपरहिट फिल्में देकर ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो आज तक कोई नहीं तोड़ सका। इन फिल्मों में 'आराधना', 'सफर', 'कटी पतंग', 'आनंद', 'अमर प्रेम' जैसी ब्लॉकबस्टर शामिल थीं।

  • इंडस्ट्री में राजेश खन्ना को 'काका' कहा जाता था। यह नाम उन्हें बचपन में उनके माता-पिता और रिश्तेदारों ने दिया था। 

  • राजेश खन्ना ने 1973 में अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया से शादी की। उनके दो बेटियां ट्विंकल खन्ना और रिंकी खन्ना हैं। 

  • उन्होंने कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में दिल्ली की एक सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 18 जुलाई 2012 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

Maharashtra / Mumbai :

Mumbai/ राजेश खन्ना, एक ऐसा नाम जिसने भारतीय सिनेमा को नया आयाम दिया और स्टारडम की ऐसी ऊंचाइयां छुईं जिसे आज तक कोई पार नहीं कर सका। 29 दिसंबर 1942 को अमृतसर, पंजाब में जन्मे राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था। फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने न केवल अपनी बेहतरीन अदाकारी से बल्कि अपने चार्म, व्यक्तित्व और अनोखी स्टाइल से भी दर्शकों का दिल जीता।

उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर हम उनकी जिंदगी और करियर के उन पहलुओं पर नजर डालते हैं, जिन्होंने उन्हें भारतीय सिनेमा का पहला सुपरस्टार बना दिया।

शुरुआत से सुपरस्टार बनने तक का सफर

राजेश खन्ना की बॉलीवुड में एंट्री एक टैलेंट हंट प्रतियोगिता के जरिए हुई थी। 1965 में यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेयर द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में लगभग 10,000 लोगों ने हिस्सा लिया था, लेकिन पहला स्थान राजेश खन्ना ने हासिल किया। इसके बाद 1966 में उन्होंने फिल्म 'आखिरी खत' से डेब्यू किया। यह फिल्म भारत की ऑस्कर में पहली आधिकारिक एंट्री बनी थी।

1969 से 1972 के बीच, राजेश खन्ना ने लगातार 17 सुपरहिट फिल्में देकर ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो आज तक कोई नहीं तोड़ सका। इन फिल्मों में 'आराधना', 'सफर', 'कटी पतंग', 'आनंद', 'अमर प्रेम' जैसी ब्लॉकबस्टर शामिल थीं।

सुपरस्टारडम का स्वर्णिम दौर

राजेश खन्ना के स्टारडम की कहानियां आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं।

  • फैंस की दीवानगी: उनकी गाड़ी के आगे लड़कियां लेट जाती थीं, उनकी तस्वीरों से शादी कर लेती थीं और उनके नाम का सिंदूर लगाती थीं।
  • भिखारी भीख मांगते थे उनके नाम पर: राजेश खन्ना का स्टारडम इतना जबरदस्त था कि लोग भगवान के बजाय उनके नाम पर भीख मांगते थे।

उनकी लोकप्रियता को एक कहावत ने भी अमर कर दिया, "ऊपर आका, नीचे काका।"

'काका' बनने की कहानी

इंडस्ट्री में राजेश खन्ना को 'काका' कहा जाता था। यह नाम उन्हें बचपन में उनके माता-पिता और रिश्तेदारों ने दिया था। पंजाबी में छोटे बच्चे को प्यार से काका कहकर बुलाया जाता है। जब उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा तो यह नाम उनके दोस्तों और प्रशंसकों के बीच भी प्रचलित हो गया।

राजेश खन्ना का फिल्मी रिकॉर्ड

1969 से 1972 तक का समय राजेश खन्ना के करियर का स्वर्णिम दौर था। इस समय उनकी लगातार 17 फिल्में सुपरहिट रहीं। उनकी फिल्मों के गाने और डायलॉग्स आज भी लोगों की जुबान पर हैं।
प्रसिद्ध डायलॉग्स:

  1. "ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं।" (फिल्म: आनंद)
  2. "पुष्पा, आई हेट टीयर्स।" (फिल्म: अमर प्रेम)

स्टारडम का दबाव और कठिन दौर

राजेश खन्ना का स्टारडम इतना बड़ा था कि इसे संभालना उनके लिए मुश्किल हो गया।

  • फ्लॉप फिल्मों का दौर: 1975 के बाद उनकी कुछ फिल्में फ्लॉप होने लगीं। लगातार असफलताओं ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया।
  • डिप्रेशन: करियर में गिरावट आने के बाद वह अवसाद में चले गए। लेखक यासिर उस्मान की किताब 'The Untold Story of India’s First Superstar' के मुताबिक, राजेश खन्ना एक बार समंदर में डूबकर आत्महत्या करने का फैसला कर चुके थे।

लेकिन अंततः उन्होंने इस मुश्किल समय से उबरते हुए खुद को संभाला।

व्यक्तिगत जीवन

राजेश खन्ना ने 1973 में अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया से शादी की। शादी के समय डिंपल महज 16 साल की थीं और उनकी पहली फिल्म 'बॉबी' रिलीज होने वाली थी। उनके दो बेटियां ट्विंकल खन्ना और रिंकी खन्ना हैं। हालांकि, शादी के कुछ सालों बाद उनका रिश्ता तनावपूर्ण हो गया और दोनों अलग हो गए।

राजनीति में कदम

राजेश खन्ना ने 1992 में राजनीति में कदम रखा। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में दिल्ली की एक सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। राजनीति में भी उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई।

आखिरी समय और निधन

2012 में राजेश खन्ना की तबीयत खराब रहने लगी। उन्हें कैंसर का पता चला था। 18 जुलाई 2012 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके अंतिम संस्कार में लगभग 10 लाख लोग शामिल हुए, जो उनके स्टारडम और लोगों के दिलों में उनकी जगह को साबित करता है।

उनकी अमर विरासत

राजेश खन्ना का योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमिट है। उनकी फिल्मों ने सिनेमा को न केवल नई ऊंचाइयां दीं बल्कि उनके डायलॉग्स, गाने और अभिनय ने लोगों के दिलों में खास जगह बनाई।

प्रमुख फिल्में:

  • आनंद
  • आराधना
  • अमर प्रेम
  • कटी पतंग
  • बावर्ची

प्रसिद्ध गाने:

  1. "मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू" (आराधना)
  2. "जिंदगी एक सफर है सुहाना" (अंदाज़)

राजेश खन्ना से जुड़ी कहानियां

उनसे जुड़े कई किस्से और कहानियां आज भी उनके फैंस को प्रेरित करती हैं। प्रोड्यूसर-डायरेक्टर सिद्धार्थ नागर ने एक बार बताया कि काका कितने इमोशनल और दयालु इंसान थे। उनकी दरियादिली और विनम्रता ने उन्हें न केवल एक बेहतरीन अभिनेता बल्कि एक बेहतरीन इंसान भी बनाया।

राजेश खन्ना सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक युग हैं। उनका स्टारडम, उनकी फिल्में और उनका योगदान हमेशा भारतीय सिनेमा की धरोहर रहेगा। वह आज भी अपने प्रशंसकों के दिलों में जिंदा हैं।