कृष्ण चरित्र महा रास लीला: मैं तो हूँ भक्तन को दास भक्त मेरो मुकुट मणि
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आज महा रासलीला मे भक्त नरसी मेहता के चरित्र के दर्शन कराए गए. नरसी मेहता के पूर्व जन्म केद कथानक अनुसार वह राजा मान्धाता के पुत्र मुचकुंद का ही दूसरा रूप थे. मुचकुंद सतयुग मे देव असुर संग्राम में थक कर चूर हो गए थे. तब धौलपुर के पास एक गुफा में आराम कर रहे थे तथा वे त्रेता युग तक सोते रहे. उन्हें भगवान ने वरदान दिया था कि जो भी उन्हें जगाएगा वो जलकर भस्म हो जाएगा
नागपुर/ नागपुर महानगरपालिका तथा लोटस कल्चरल एण्ड सपोर्टिंग असोसिएशन द्वारा पूर्व महापौर दयाशंकर तिवारी के संयोजन में वृंदावन के जग प्रसिद्ध स्वामी कृष्ण मुरारी जी के निर्देशन में संचालित श्री गौर कृष्ण रासलीला संस्थान वृंदावन द्वारा दिनांक 12 जनवरी, 2025 तक पंद्रह दिवसीय श्री कृष्ण चरित्र महा रास लीला का आयोजन किया गया है. आज का पूजन दयाशंकर तिवारी श्री सुनील काबरा सविता काबरा स्नेहलता काबरा सहित समस्त काबरा परिवार की उपस्थिति में हुआ.
आज महा रासलीला मे भक्त नरसी मेहता के चरित्र के दर्शन कराए गए. नरसी मेहता के पूर्व जन्म केद कथानक अनुसार वह राजा मान्धाता के पुत्र मुचकुंद का ही दूसरा रूप थे. मुचकुंद सतयुग मे देव असुर संग्राम में थक कर चूर हो गए थे. तब धौलपुर के पास एक गुफा में आराम कर रहे थे तथा वे त्रेता युग तक सोते रहे. उन्हें भगवान ने वरदान दिया था कि जो भी उन्हें जगाएगा वो जलकर भस्म हो जाएगा उधर काल्यवन नामक आततायी श्री कृष्ण का पीछा करते रहता है प्रभु की इसी लीला के कारण उनका नाम रण छोड़ पड़ा था. अब योजना अनुसार कृष्ण गुफा में छिप जाते हैं और मुचकुंद को अपना पीताम्बर उड़ा देते है. काल्यवन वहां निद्रा मे तल्लीन मुचकुंद को जगाता है उनकी दृष्टि पड़ते ही स्वयं जलकर भस्म हो जाता है. तब भगवान श्री कृष्ण मुचकुंद को दर्शन देते है तथा वरदान मांगने को कहते हैं तब वह मुक्ति माँगता है तो भगवान कहते हैं कि कलियुग में गुजरात का पाखंड दूर करने के लिए तुम फिर मानव योनी में जन्म लोगे तब तुम्हारा नाम नरसी होगा.
जूनागढ के संपन्न परिवार में नरसी मेहता का जन्म होता है भगवान से विमुख उनके भाई व झगड़ालू भाभी के कारण वे परिवार छोड़ देते हैं. जंगल की ओर रुख कर वे एक जर्जर शिवलिंग का पूजन करते हैं सात दिनों से कुछ ना खाने के कारण वे साधना करते-करते बेहोश हो जाते हैं तब भगवान शिव प्रकट होते हैं तथा उनसे वर मांगने को कहते हैं तो वे कहते हैं कि हे ईश्वर मुझे तेरी भक्ति के अतिरिक्त कोइ और वर नहीं चाहिए. भगवान शिव उन्हे आशिर्वाद देते हैं कि तुम भक्ति का प्रचार करोगे. भक्त नरसी भगवान के आशीर्वाद से विवाह करते है तथा इन्हें एक पुत्री होती है भक्त नरसी को लिखी गई पत्री के कारण भगवान श्यामल सेठ बनकर आते है तथा संत समाज को धन उपलब्ध कराते हैं.
रंजन नामक एक अत्यंत संपन्न परिवार में रामा का विवाह होता है उधर नरसी अपना सब कुछ संत सेवा में लगा देता है. जब नरसी के नातिन के विवाह का प्रसंग आता है तो पंडित के हाथो कुमकुम पत्रिका नरसी को कुटिया में भिजवाई जाती है तथा अकल्पनीय इतनी अधिक धन सम्पत्ति व सामग्री मंगवाई जाती है. जब नरसी के पास इस पंडित के लिए कुछ कलेवा नहीं होता तब स्वयं भगवान श्री कृष्ण सेवक बनकर सोने तथा चांदी के बर्तनों में कलेवा लाकर उनको करवाते है. इस बुलावे पर सम्पत्ति व सामाग्री की चिंता छोड़ नरसी संत मंडली के साथ एक पुरानी बैल गाड़ी का इंतजाम कर विवाह हेतु यात्रा प्रारम्भ करते है. तब रास्ते में यह बैलगाड़ी टूट जाती है. तब नरसी अपने भगवान को याद करते हैं तो वह श्याम खाटी बनकर आते हैं और उस बैल गाड़ी को सुधार देते है खुद इस गाड़ी के चालक बनकर नरसी के साथ अंजार नगर तक पहुंचते हैं. उस समय नरसी अपने भगवान से वचन लेते हैं कि वो जब जब उनको याद करेगा तब तब उन्हें उसकी सहायता के लिए अवश्य आना होगा. उधर सामग्री न होने के कारण आकुल व्याकुल रामा अपने पिता के पास पहुँचती हैं तथा नरसी उसे समझाते हैं कि अपने भाई सांवरिया को याद कर वह अवश्य तुम्हारी सहायता करने आयेंगे. इसके बाद रामा भगवान का स्मरण करती है पर भात भरने का समय अत्यंत निकट आने पर भी गिरधारी नहीं आते तब जल लाने का बहाना करके श्यामा सरोवर में अपने प्राण त्यागने के उद्देश्य से जाती है तथा जैसे ही छलांग लगा रही होती है तब भगवान स्वयं रुक्मिणी तथा सत्यभामा के साथ प्रकट होते हैं तथा सारी सामग्री के साथ भात भराई की रस्म को पूरा करते हैं. आज का समापन पूजन गिरधारी मंत्री कल्याण चौबे गणेश तिवारी प्रशांत गुप्ता रमाकांत गुप्ता अविनाश साहू रमेश गुप्ता प्राध्यापक हर्शद घाटोले ने किया. शनिवार की लीला में भक्त प्रहलाद के चरित्र की लीला का चित्रण किया जाएगा.