HMPV Update: स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्थिति की समीक्षा की
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ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) 2001 से विश्व स्तर पर मौजूद एक श्वसन वायरस है, जो सर्दियों और वसंत के शुरुआती महीनों में लोगों को प्रभावित करता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने लोगों को आश्वस्त किया कि इस वायरस को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पर्याप्त नैदानिक सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया कि देश में श्वसन संबंधी बीमारियों की स्थिति नियंत्रण में है और सरकार हर प्रकार की संभावित स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए तैयार है।
नई दिल्ली, 07 जनवरी 2025: केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुश्री पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने देश में श्वसन संबंधी बीमारियों की स्थिति और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा के लिए एक वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) मामलों की बढ़ती मीडिया रिपोर्टों के मद्देनजर भारत में ऐसी बीमारियों की स्थिति का मूल्यांकन और निगरानी तंत्र की मजबूती पर जोर दिया गया।
बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ-साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिव, आईसीएमआर, एनआईवी, एनसीडीसी और आईडीएसपी के विशेषज्ञों ने भाग लिया। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने जोर देकर कहा कि देश में आईडीएसपी और आईसीएमआर के डेटा के अनुसार श्वसन संबंधी बीमारियों में कोई असामान्य वृद्धि दर्ज नहीं की गई है।
एचएमपीवी: सामान्य जानकारी
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) 2001 से विश्व स्तर पर मौजूद एक श्वसन वायरस है, जो सर्दियों और वसंत के शुरुआती महीनों में लोगों को प्रभावित करता है। यह वायरस आमतौर पर हल्का संक्रमण पैदा करता है और अधिकांश मामलों में मरीज बिना किसी विशेष उपचार के ठीक हो जाते हैं। वायरस के संक्रमण के लक्षणों में बुखार, खांसी, नाक बहना और गले में खराश शामिल हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने लोगों को आश्वस्त किया कि इस वायरस को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पर्याप्त नैदानिक सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। आईसीएमआर-वीआरडीएल प्रयोगशालाएं एचएमपीवी सहित सभी श्वसन वायरस की जांच के लिए सुसज्जित हैं।
निगरानी और जागरूकता पर जोर
बैठक में राज्यों को सलाह दी गई कि वे आईएलआई (इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस) और एसएआरआई (सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन) मामलों की निगरानी को और मजबूत करें और नियमित समीक्षा करें। सर्दियों के महीनों में सामान्य रूप से श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे निवारक उपायों को लेकर जनता में जागरूकता बढ़ाने के लिए आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) अभियान चलाएं। उन्होंने बताया कि वायरस के संक्रमण से बचने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता और सामान्य स्वास्थ्य प्रथाओं का पालन करना महत्वपूर्ण है।
निवारक उपायों की सलाह
लोगों को सलाह दी गई है कि वे निम्नलिखित उपाय अपनाएं:
- बार-बार साबुन और पानी से हाथ धोएं।
- गंदे हाथों से आंख, नाक और मुंह छूने से बचें।
- खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढकें।
- भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें और मास्क पहनें।
- बुखार और खांसी जैसे लक्षणों वाले व्यक्तियों के निकट संपर्क से बचें।
नतीजा
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया कि देश में श्वसन संबंधी बीमारियों की स्थिति नियंत्रण में है और सरकार हर प्रकार की संभावित स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए तैयार है। जागरूकता और सतर्कता ही इन बीमारियों से बचाव की कुंजी है।