विवाह और ब्रह्मांड के आरंभ की दिव्य रात्रि: महाशिवरात्रि
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

ऐतिहासिक, पौराणिक और पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार, नर्मदा नदी के किनारे स्थित शिवलिंगों, मंदिरों और सपरिवार प्रतिमाओं से जबलपुर में चारों युगों में भगवान शिव के विकास की पुष्टि होती है।
शिवधानी के रूप में प्रसिद्ध जबलपुर में पशुपतिनाथ, त्रिपुरेश्वर शिवलिंग, रामेश्वरम उपलिंग, तिल भांडेश्वर और कचनार शिवालय जैसे महत्वपूर्ण शिव स्थल मौजूद हैं, जो इसकी गहरी शैव परंपरा को दर्शाते हैं।
Jabalpur/ऐतिहासिक, पौराणिक और पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर जबलपुर में प्रतिकल्पा माँ नर्मदा के किनारे स्थित शिवलिंगों , सपरिवार प्रतिमाओं और मंदिरों से चारों युगों में भगवान् शिव के विकास की पुष्टि होती है। जबलपुर वस्तुतः शिवधानी है, भगवान् शिव के प्राक् स्वरुप पशुपतिनाथ, त्रिपुरेश्वर शिवलिंग,वरेश्वर, रामेश्वरम उपलिंग, शिव पंचायतन, तिल भांडेश्वर और कचनार शिवालय इसके प्रमाण हैं। जबलपुर को गोंडवाना काल (मध्य काल) में लघु काशी के नाम से भी जाना जाता था।"त्रिपुरी (जबलपुर) अनादि काल से ही शैव मत का केंद्र रहा है. नई दुनिया में प्रकाशित चित्र कलचुरि काल का है. गौरीशंकर का मंदिर(भेड़ाघाट)शिव-पार्वती के विवाहोत्सव (महाशिवरात्रि) का संपूर्ण भारत वर्ष में अद्भुत एवं अद्वितीय मूर्ति शिल्प का प्रतीक है, जिसका विषय वरेश्वर (शिव वर रुप में) के रूप में अंकित है।
महाशिवरात्रि महापर्व की अनंत कोटि शुभकामनाएं |
डॉ. आनंद सिंह राणा,
विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग श्रीजानकीरमण महाविद्यालय एवं उपाध्यक्ष इतिहास संकलन समिति महाकौशल प्रांत