Peru Ex-President Humala Gets 15-Year Jail Term
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

पेरू के पूर्व राष्ट्रपति ओलांटा हुमाला और उनकी पत्नी को भ्रष्टाचार के आरोप में 15 साल की सजा सुनाई गई।
अदालत ने रिश्वतखोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को सही ठहराते हुए दोनों को दोषी करार दिया।
पेरू की राजनीति में एक बड़ा भूचाल तब आया जब देश की एक अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति ओलांटा हुमाला और उनकी पत्नी नादिन हेरेडिया को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में दोषी करार देते हुए 15 साल की सजा सुना दी। यह मामला ब्राजील की कुख्यात निर्माण कंपनी ओडेब्रेचेट से जुड़े भ्रष्टाचार घोटाले से संबंधित है, जिसमें हुमाला और उनकी पत्नी पर आरोप था कि उन्होंने राष्ट्रपति पद पर रहते हुए इस कंपनी को अनुबंध देने के बदले मोटी रिश्वत ली थी।
पूर्व राष्ट्रपति हुमाला और उनकी पत्नी पर राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान ओडेब्रेचेट कंपनी और वेनेजुएला सरकार से धन प्राप्त करने और उसे मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से सफेद करने का भी आरोप था। अदालत ने पाया कि इन दोनों ने जानबूझकर अपने पद का दुरुपयोग किया और अवैध रूप से पैसे प्राप्त किए। जैसे ही अदालत का फैसला आया, 62 वर्षीय हुमाला को कोर्ट रूम से ही हिरासत में ले लिया गया, जबकि उनकी पत्नी हेरेडिया सुनवाई में अनुपस्थित रहीं। इसके बाद खबर आई कि उन्होंने ब्राजील के दूतावास में शरण ले ली है ताकि गिरफ्तारी से बच सकें।
यह पहला मौका नहीं है जब पेरू के किसी राष्ट्रपति को भ्रष्टाचार के आरोप में सजा सुनाई गई हो। इससे पहले भी पेरू के तीन अन्य पूर्व राष्ट्रपतियों को इसी प्रकार के मामलों में घसीटा जा चुका है। उदाहरण के तौर पर, एलेजांद्रो टोलेडो, जो 2001 से 2006 तक पेरू के राष्ट्रपति रहे, उन्हें भी पिछले वर्ष भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार दिया गया और 20 साल की सजा सुनाई गई। वहीं, पाब्लो कुजिंस्की, जो 2016 से 2018 तक राष्ट्रपति रहे, उन पर भी भ्रष्टाचार की जांच जारी है। सबसे दुखद मामला एलन गार्सिया का रहा, जिन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद 2019 में आत्महत्या कर ली थी।
हुमाला का मामला इस मायने में खास है क्योंकि वह एक पूर्व सैन्य अधिकारी थे और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान खुद को भ्रष्टाचार विरोधी नेता के रूप में प्रस्तुत किया था। लेकिन उनके कार्यकाल के बाद जो तथ्य सामने आए, उन्होंने उनकी छवि को पूरी तरह से बदल दिया। अभियोजकों ने कोर्ट में यह दलील दी थी कि हुमाला को 20 साल और उनकी पत्नी को 26 साल जेल की सजा दी जानी चाहिए, लेकिन अदालत ने उन्हें 15-15 साल की सजा सुनाई।
इस पूरे मामले ने पेरू की राजनीति और न्याय प्रणाली में भरोसे की एक नई चुनौती पेश की है। हालांकि अदालत का यह सख्त रुख यह संकेत देता है कि अब भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर देश में जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जा रही है। यह फैसला न केवल पेरू में बल्कि पूरे लैटिन अमेरिका में एक मजबूत संदेश देता है कि चाहे पद कितना भी ऊंचा क्यों न हो, कानून से ऊपर कोई नहीं है।
Watch Also: Trump VS Biden Deportation | ट्रंप का बड़ा वादा, लेकिन हकीकत कुछ और?