जेईई मेन रिजल्ट घोषित होने के बाद महाराष्ट्र के तीन होनहार छात्रों — आयुष रवि चौधरी, सानिध्य सराफ और विशाल जैन — ने 100 परसेंटाइल स्कोर हासिल कर देश के टॉप 24 उम्मीदवारों में जगह बनाई है।
सानिध्य सराफ, जो पुणे में पले-बढ़े और मूल रूप से कश्मीर के रहने वाले हैं, वर्तमान में जेईई एडवांस्ड की तैयारी में जुटे हैं। वे पहले ही भारत की ओर से 2024 में इंटरनेशनल ओलंपियाड ऑन एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स में हिस्सा ले चुके हैं। इस अनुभव ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली को समझने का अवसर दिया। उन्होंने बताया कि अन्य देशों में जेईई या नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं नहीं होतीं — छात्र सीधे विश्वविद्यालय का चयन कर सकते हैं। उन्हें खगोलशास्त्र और भौतिकी में भी गहरी रुचि है। खाली समय में वे स्टारगेज़िंग (तारों को देखना) पसंद करते हैं। जेईई की तैयारी से पहले वे बांसुरी बजाते थे और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते थे। जेईई के बाद वे पियानो सीखने की योजना बना रहे हैं। सानिध्य सोशल मीडिया से दूर रहते हैं ताकि पढ़ाई पर फोकस बना रहे। जेईई की कोचिंग के लिए उनका परिवार दो साल पहले पुणे से मुंबई शिफ्ट हुआ था, जहां वे अंधेरी स्थित नारायण ई-टेक्नो रेजिडेंशियल कोचिंग में पढ़ाई कर रहे हैं।
विशाल जैन, जो मुंबई के कांदिवली से हैं, उन्होंने भी जेईई मेन के पहले सत्र में 100 परसेंटाइल स्कोर किया है और अब उनका लक्ष्य आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस करना है। उन्होंने बताया कि उन्हें अच्छे स्कोर की उम्मीद थी, लेकिन 100 परसेंटाइल पाकर बेहद खुशी हुई। विशाल की जेईई की तैयारी कक्षा 4 से ही शुरू हो गई थी, जब उन्हें नारायण स्कूल, बोरीवली में दाखिला दिलाया गया था। यहीं पर उन्होंने ओलंपियाड्स, होमी भाभा परीक्षाओं जैसी प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने अंधेरी स्थित स्कूल के इंटीग्रेटेड जूनियर कॉलेज से जेईई की कोचिंग ली। उनके परिवार ने भी दो साल के लिए अंधेरी में शिफ्ट होकर उनका साथ दिया।
विशाल पढ़ाई के बीच तनाव दूर करने के लिए फिक्शन पढ़ना और डांस करना पसंद करते हैं। साथ ही, वे जुहू बीच पर माता-पिता के साथ सैर करना पसंद करते हैं — जिसे वे सबसे अच्छा रिफ्रेशमेंट मानते हैं। विशाल इंटरनेशनल फिजिक्स ओलंपियाड के ओरिएंटेशन और सेलेक्शन कैंप के लिए भी चुने गए हैं, लेकिन जेईई एडवांस की वजह से वे उसमें हिस्सा नहीं ले पाएंगे। उनका मानना है कि हर मॉक टेस्ट को असली परीक्षा की तरह देना ही सफलता की कुंजी है। वे भी सोशल मीडिया से दूर रहते हैं ताकि ध्यान भंग न हो।
सानिध्य और विशाल जैसे युवाओं की मेहनत और संतुलित सोच से यह स्पष्ट होता है कि जुनून और अनुशासन के साथ किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।