मुजफ्फरनगर मस्जिद 'शत्रु संपत्ति' घोषित: वक्फ और शत्रु संपत्ति के दावों पर विवाद
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वक्फ बोर्ड ने संपत्ति को 1930 में वक्फ के नाम दर्ज होने का दावा किया और 1937 के दस्तावेज़ों का हवाला देते हुए इसे वैध संपत्ति बताया।
जांच और सुनवाई के बाद भारत सरकार के शत्रु संपत्ति अभिकरण ने इसे शत्रु संपत्ति घोषित करते हुए खाली कराने के निर्देश दिए।
उत्तर प्रदेश/मुजफ्फरनगर में रेलवे स्टेशन के सामने स्थित मस्जिद और चार दुकानों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया है। यह संपत्ति पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली के परिवार की पुश्तैनी जमीन पर बनी है। इस मसले ने तब तूल पकड़ा जब राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के संयोजक संजय अरोड़ा ने 10 जून को तत्कालीन जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगाली से शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया कि इस संपत्ति पर अवैध कब्जा कर मस्जिद और दुकानें बनाई गई हैं।
मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि यह संपत्ति 1930 में वक्फ बोर्ड के नाम की जा चुकी है और 1937 के एक पत्र का हवाला देते हुए कहा कि खसरा नंबर 930 पर स्थित दुकानों का किराया वक्फ बोर्ड के मुतवल्ली को जमा किया जा रहा है। मामले की जांच के लिए जिलाधिकारी ने एक समिति का गठन किया, जिसमें एडीएम राजस्व, एमडीए सचिव, सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम सदर, सीओ सिटी, और नगर पालिका ईओ को शामिल किया गया।
जांच के बाद यह मामला शत्रु संपत्ति कार्यालय, दिल्ली को भेजा गया, जहां भारत सरकार के शत्रु संपत्ति अभिकरण ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद इसे शत्रु संपत्ति घोषित करने का आदेश जारी किया। जांच में पाया गया कि 8 बिस्वा जमीन पर बनी मस्जिद और दुकानों की स्थिति शत्रु संपत्ति के दायरे में आती है।
मुस्लिम पक्ष और वक्फ बोर्ड का दावा
मौलाना मुजीबुल इस्लाम, जो मस्जिद के केयरटेकर हैं, ने बताया कि उन्हें इस मामले में तीन महीने पहले नोटिस मिला था, जिसके बाद उन्होंने स्थानीय अदालत का रुख किया। वक्फ बोर्ड की ओर से यह दावा किया गया कि यह संपत्ति उनके दस्तावेजों में दर्ज है और इसका किराया नियमित रूप से वक्फ मुतवल्ली को मिलता है।
राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन का रुख
शिकायतकर्ता संजय अरोड़ा ने इसे "डबल स्वाभिमान" का दिन बताया। उन्होंने कहा कि डेढ़ साल से इस संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित करने की मांग की जा रही थी। उनका आरोप है कि यह संपत्ति 1918 से कब्जे में लेकर मस्जिद और दुकानें बनाई गई थीं।
सरकारी कदम और कानूनी प्रक्रिया
सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप ने बताया कि यह संपत्ति 930 खसरा नंबर की है, जिसमें 8 बिस्वा जमीन शामिल है। इसे खाली कराने के लिए संबंधित पक्षों को नोटिस दिया जाएगा। यदि नोटिस के बावजूद संपत्ति खाली नहीं की जाती, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
आगे की कार्रवाई
शत्रु संपत्ति घोषित होने के बाद अब प्रशासन कानूनी प्रक्रिया के तहत मस्जिद और दुकानों को खाली कराने की तैयारी कर रहा है। यह मामला वक्फ और शत्रु संपत्ति के दावों के बीच टकराव को दर्शाता है, जिसका असर स्थानीय सामाजिक और राजनीतिक माहौल पर पड़ सकता है।