एनीमिया के खिलाफ भारत की लड़ाई - पोषण, बचाव और सुरक्षा
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भारत में 67.1% बच्चे और 59.1% किशोरियाँ एनीमिया से पीड़ित हैं। (NFHS-5)
4 में से 3 भारतीय महिलाओं के आहार में आयरन की मात्रा कम होती है। एनीमिया मुक्त भारत (6x6x6 रणनीति का प्रयोग: 6 गतिविधियां, लाभार्थियों के 6 लक्षित समूह और 6 संस्थागत तंत्र) ।
वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में 15.4 करोड़ बच्चों/किशोरों को आयरन और फोलिक एसिड की खुराक मिली।
डिजिटल उपकरण वास्तविक समय में एनीमिया की जांच को ट्रैक करते हैं और डेटा प्रदान करते हैं। एएमबी कार्यक्रम पोषण अभियान और स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ एकीकृत है।
नई दिल्ली / भारत दुनिया में किशोरों की सबसे बड़ी आबादी का घर है। यह एनीमिया के खिलाफ सबसे महत्वाकांक्षी सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक का नेतृत्व भी करता है। ऐनीमिया, एक ऐसी समस्या जो लाखों लोगों, खासकर महिलाओं, बच्चों और किशोरों को प्रभावित करती है। एनीमिया, मुख्य तौर पर आयरन की कमी के कारण होता है, जिसमें हीमोग्लोबिन का स्तर गिर जाता है और इस वजह से रक्त की ऑक्सीजन को अहम अंगों तक ले जाने की क्षमता कम हो जाती है।[1] फोलेट, विटामिन बी12 और विटामिन ए की कमी, एनीमिया के अन्य पोषण संबंधी कारण हैं।[2] इस समस्या का बड़े स्तर पर लोगों को प्रभावित करने की मुख्य वजह खराब पोषण, समय से पहले गर्भधारण, अपर्याप्त मातृ देखभाल और आयरन युक्त खाद्य पदार्थों तक सीमित पहुंच हैं, जिससे चलते यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन गई है, जिसपर तत्काल और निरंतर कार्रवाई करने की ज़रुरत है।[3]
एनीमिया की रोकथाम और उपचार दोनों मुमकिन है, और पिछले दो दशकों में भारत सरकार ने इससे निपटने के लिए मजबूत और लक्षित रुप से कार्रवाई भी की है। 1998-99 में दूसरे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-2) के साथ एक अहम मोड़ आया, जब एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) जैसे ऐतिहासिक कार्यक्रमों की शुरूआत हुई। मौजूदा वक्त में एएमबी एक व्यापक रणनीति के ज़रिए हर साल लाखों लोगों तक पहुँच रहा है, जिसमें सभी उम्र वर्गों में आयरन-फोलिक एसिड आपूर्ति, कृमि मुक्ति, बेहतर पोषण और व्यवहार परिवर्तन से जुड़े संचार कार्यक्रम शामिल है।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को किशोर पोषण और स्कूल-आधारित आउटरीच के साथ जोड़कर, भारत पीढ़ियों से चले आ रहे कुपोषण के चक्र को तोड़ रहा है। यह लगातार जारी और समुदायिक नेतृत्व वाला दृष्टिकोण लड़कियों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए परिणामों में तेज़ी से बदलाव ला रहा है और भारत को साक्ष्य-आधारित, समावेशी सार्वजनिक स्वास्थ्य नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर रहा है।
एनीमिया के बारे में जानकारी
इसके लक्षण क्या हैं?[4]
आम तौर पर थकान, शारीरिक कार्य क्षमता में कमी और सांस फूलने जैसे लक्षणों के ज़रिए एनीमिया की पहचान होती है। यह खराब पोषण और कई किस्म की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सूचक है। एनीमिया के सामान्य और गैर-विशिष्ट लक्षणों में खासकर काम करने में थकान, चक्कर आना, हाथ और पैर ठंडे होना, सिरदर्द और सांस फूलना शामिल हैं।
आम तौर पर इसका असर किस पर पड़ता है?
एनीमिया से सबसे ज़्यादा 5 साल से कम उम्र के बच्चे, खास तौर पर शिशु और 2 साल से कम उम्र के बच्चे, मासिक धर्म वाली किशोरियाँ और महिलाएँ, और गर्भवती और प्रसवोत्तर महिलाएँ प्रभावित होती हैं।
इसका क्या असर होता है?[5]
लौह की कमी से होने वाले एनीमिया के कारण, बच्चों में संज्ञानात्मक और मोटर विकास में कमी आती है और वयस्कों में इसके चलते काम करने की क्षमता कम हो जाती है। इसका असर बचपन में सबसे ज़्यादा देखने को मिलता है। गर्भावस्था में, लौह की कमी से होने वाले एनीमिया के कारण प्रसवपूर्व समस्याएं, समय से पहले जन्म और कम वज़न (एलबीडब्ल्यू) वाले बच्चे हो सकते हैं।
इसे कैसे रोका और इलाज किया जा सकता है?
एनीमिया का उपचार और इसकी रोकथाम इसके अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करती है। लेकिन फिर भी, इसे अक्सर आहार में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है जैसे कि आयरन और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ (जैसे फोलेट, विटामिन बी12 और विटामिन ए) का सेवन करना, संतुलित आहार बनाए रखना और स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सलाह पर सप्लीमेंट लेना।
एनीमिया की वैश्विक स्थिति[6]
एनीमिया दुनिया भर में 15 से 49 वर्ष की उम्र की करीब 500 मिलियन महिलाओं और 5 वर्ष (6-59 महीने) से कम उम्र के 269 मिलियन बच्चों को प्रभावित करता है।
2019 में
करीब 30% गैर-गर्भवती महिलाओं (539 मिलियन) को एनीमिया था।
करीब 37% गर्भवती महिलाएँ (32 मिलियन) एनीमिया से प्रभावित थीं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण - 5 (2019-2021) के अनुसार भारत में एनीमिया की स्थिति[7]
एनीमिया उन्मूलन के लिए भारत सरकार द्वारा नीतिगत हस्तक्षेप
विभिन्न जनसंख्या समूहों में एनीमिया के मामलों को पहचानते हुए, भारत सरकार इसके उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। हालाँकि स्वास्थ्य राज्य का विषय है, लेकिन केंद्र, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के ज़रिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को वित्तीय और तकनीकी मदद देकर सक्रिय है, जो उनकी वार्षिक कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं के अनुसार हैं।
- एनीमिया मुक्त भारत
इसे 2018 में 6x6x6 रणनीति के साथ शुरू किया गया था, जिसके तहत छह आयु समूहों- प्री-स्कूल वाले बच्चे (6-59 महीने), बच्चे (5-9 वर्ष), किशोर लड़कियां और लड़के (10-19 वर्ष), गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं और प्रजनन आयु की महिलाएं (15-49 वर्ष), में एनीमिया (पौष्टिक और गैर-पौष्टिक) की व्यापकता को कम करने के लिए छह किस्म के गतिविधियां शामिल हैं।[8] एनीमिया मुक्त भारत की रणनीति भारत के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सभी गांवों, ब्लॉकों और जिलों में मौजूदा वितरण मंचों के ज़रिए लागू की गई है, जैसा कि राष्ट्रीय आयरन प्लस पहल (एनआईपीआई) [9] में परिकल्पित है। यह पूरे जीवन काल में आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया की सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति है[10] और किशोर आबादी (10-19 वर्ष) में एनीमिया की व्यापकता और गंभीरता को कम करने के लिए साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण, (डब्ल्यूआईएफएस) कार्यक्रम[11] पर केंद्रित है।
एनीमिया मुक्त भारत के तहत 6x6x6 गतिविधियां इस प्रकार हैं: [12] [13] [14]
1.1 रोगनिरोधी आयरन और फोलिक एसिड अनुपूरण
एएमबी रणनीति के तहत, आयरन-फोलिक एसिड (आईएफए) अनुपूरण उम्र वर्ग और शारीरिक ज़रुरतों के मुताबिक तैयार किया जाता है। 6-59 महीने की उम्र के बच्चों को सप्ताह में दो बार आईएफए सिरप दिया जाता है, जबकि 5-10 वर्ष की आयु के बच्चों को साप्ताहिक गुलाबी गोली दी जाती है। किशोरों (10-19 वर्ष) और गैर-गर्भवती, गैर-स्तनपान कराने वाली महिलाओं (20-49 वर्ष) को क्रमशः साप्ताहिक नीली या लाल आईएफए गोली दी जाती है। गर्भधारण से पहले की अवधि और पहली तिमाही में महिलाओं को रोजाना फोलिक एसिड की गोलियां लेने की सलाह दी जाती है। गर्भवती महिलाएं दूसरी तिमाही से रोजाना आईएफए की गोलियां लेना शुरू कर देती हैं और गर्भावस्था और प्रसव के छह महीने बाद तक इसे जारी रखती हैं। सभी सप्लीमेंट को मापदंडों के तहत खुराक के रुप में दिया जाता है और इनकी आसानी से पहचान के लिए इन्हें अलग अलग रंग दिया जाता है।
1.2 कृमि मुक्ति
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसके तहत 1-19 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों के लिए साल में दो बार सामूहिक कृमि मुक्ति अभियान हर साल निर्धारित तिथियों - 10 फरवरी और 10 अगस्त को चलाया जाता है।
- गर्भवती महिलाओं को कृमि मुक्ति (दूसरी तिमाही में) के लिए प्रसवपूर्व देखभाल संपर्कों (एएनसी क्लीनिक/वीएचएनडी) के ज़रिए सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।
1.3 वर्ष भर चलने वाला गहन व्यवहार परिवर्तन संचार अभियान (सॉलिड बॉडी, स्मार्ट माइंड) नीचे लिखित चार प्रमुख व्यवहारों पर केंद्रित है:
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- गर्भवती महिलाओं और स्कूल जाने वाले किशोरों पर विशेष ध्यान देते हुए, डिजिटल तरीकों और पॉइंट-ऑफ-केयर उपचार का उपयोग करके एनीमिया की जांच और उपचार
1.5 सरकारी वित्तपोषित सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में आयरन और फोलिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का अनिवार्य प्रावधान
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- मलेरिया, हीमोग्लोबिनोपैथी और फ्लोरोसिस पर खास ध्यान देते हुए, स्थानिक क्षेत्रों में एनीमिया के गैर-पोषण संबंधी कारणों के बारे में जागरूकता, जांच और उपचार को तेज करना
एनीमिया मुक्त भारत की प्रगति [15]
महिलाओं और बच्चों में एनीमिया से बचाव के लिए सरकार की पहल[16] [17]
निष्कर्ष
एनीमिया को खत्म करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता, समावेशी सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्रवाई का एक वैश्विक उदाहरण है। एनीमिया मुक्त भारत रणनीति के ज़रिए, सरकार ने लाखों महिलाओं, बच्चों और किशोरों तक आयरन-फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन, डीवार्मिंग, बेहतर पोषण और जागरूकता अभियान की पहुँच मुमकिन बनाई है। अपने सबसे संवेदनशील वर्गों- लड़कियों, माताओं और छोटे बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर भारत, कुपोषण के पीढ़ियों से चले आ रहे चक्र को तोड़ रहा है। लगातार निवेश, डिजिटल नवाचार और अंतिम छोर तक सुविधाओं की सशक्त पहुंच के साथ, एक स्वस्थ, एनीमिया मुक्त भारत का सपना अब ज़रुर हकीकत में बदला सकता है।
संदर्भ
- https://www.who.int/news-room/fact sheets/detail/anemia#:~:text=Key%20facts,age%20are%20affected%20by%20anemia
- https://www.who.int/health-topics/anaemia#tab=tab_1
- https://www.unicef.org/india/stories/forging-anemia-free-future
- https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/anaemia
- https://nhm.gov.in/index1.php?lang=1&level=3&sublinkid=1448&lid=797
- https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1795421
- https://mohfw.gov.in/sites/default/files/Final%20Printed%20English%20AR%202024-25.pdf
- https://health.vikaspedia.in/viewcontent/health/health-campaigns/national-iron-plus-initiative?lgn=en
- https://nhm.gov.in/index1.php?lang=1&level=3&sublinkid=1024&lid=388
- https://www.nhm.gov.in/images/pdf/Nutrition/AMB-guidelines/Anemia-Mukt-Bharat-Operational-Guidelines-FINAL.pdf
- https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2024/3dec/doc20241228477601.pdf
- https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/182/AU3031_DVkg7s.pdf?source=pqals