जगजीत सिंह डल्लेवाल का ऐलान: 4 जनवरी को खनौरी बॉर्डर पर होगी बड़ी महापंचायत
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
डल्लेवाल ने सरकार पर किसानों की मांगें अनदेखी करने का आरोप लगाया।
30 दिसंबर को सुबह 7 से शाम 4 बजे तक पंजाब बंद रहेगा।
दिल्ली/किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने हाल ही में एक बैठक के दौरान यह सवाल उठाया कि क्या उनकी भावनाएं ही पूरे देश के किसानों को खींचकर खनौरी बॉर्डर तक ले आई हैं। इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिल सका है, लेकिन यह सच है कि किसानों का समर्थन डल्लेवाल और उनके नेतृत्व में बढ़ता जा रहा है। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 4 जनवरी को खनौरी बॉर्डर पर एक बड़ी महापंचायत आयोजित की जाएगी, जिसमें लाखों लोगों के शामिल होने की संभावना है। यह महापंचायत किसानों के मुद्दों को लेकर एक बड़ा मंच साबित हो सकता है, जहां कृषि से जुड़ी तमाम समस्याओं और सरकार की नीतियों पर चर्चा की जाएगी।
इस बीच, खनौरी बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन का समर्थन करने के लिए कई एक्टिविस्ट और नेता पहुंच रहे हैं। आज ही, एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक भी खनौरी बॉर्डर पहुंचे और किसान नेता डल्लेवाल से मुलाकात की। इस मुलाकात में सोनम वांगचुक ने किसानों के मुद्दों पर समर्थन जताया और उनके आंदोलन की प्रासंगिकता को बताया। डल्लेवाल ने इस दौरान कहा कि 4 जनवरी को मंच से किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देने का उनका विचार है, जो आंदोलन की दिशा तय कर सकता है।
इसके साथ ही, 30 दिसंबर को पंजाब बंद का आह्वान किया गया है, जिसका समर्थन पूरे राज्य में हो रहा है। इस बंद के तहत, राज्यभर की दुकानें सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक बंद रहेंगी। यह बंद सरकार के खिलाफ किसानों के विरोध का हिस्सा है। डल्लेवाल ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है और वह गहरी नींद में सो रही है। उन्होंने कहा, “हम सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं और यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक हमारे अधिकारों को पूरा नहीं किया जाता।”
आज, सुप्रीम कोर्ट में जिस सुनवाई की उम्मीद थी, उसमें कोई निर्णायक आदेश नहीं आया। केंद्र सरकार के वकील की तबीयत खराब हो गई थी, जिस कारण सुनवाई स्थगित कर दी गई। इस पर डल्लेवाल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार को अब भी इस मुद्दे पर गंभीरता से बातचीत करनी चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को संकेत दिया कि उसे बातचीत के लिए आगे आना चाहिए, लेकिन कोई ठोस आदेश नहीं दिया गया।
इसके साथ ही, कोर्ट ने यह सवाल भी उठाया कि क्या किसान नेता डल्लेवाल को चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। डल्लेवाल, जो लंबे समय से आमरण अनशन पर हैं, ने इस पर एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने अपनी भावनाओं और आंदोलन के उद्देश्य को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि वह अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं और सरकार को उनकी आवाज सुननी ही होगी।
किसान आंदोलन और डल्लेवाल का यह संघर्ष सरकार से सकारात्मक परिणाम की उम्मीदों को जन्म दे रहा है। इसके बावजूद, केंद्र सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है, जिससे आंदोलन की तीव्रता और बढ़ सकती है। किसानों का यह आंदोलन केवल पंजाब तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देशभर में इसके प्रभाव से किसान आंदोलनों को नया मोड़ मिल सकता है।
अब देखना यह है कि सरकार इस बढ़ते दबाव का कैसे जवाब देती है, और क्या किसानों की आवाज को साकार रूप मिलता है। 4 जनवरी को खनौरी बॉर्डर पर आयोजित होने वाली महापंचायत इस आंदोलन की अगली दिशा निर्धारित कर सकती है।