दिल्ली विधानसभा सत्र: विधायकों ने ली शपथ, भाजपा की सत्ता में वापसी

Mon 24-Feb-2025,08:03 PM IST +05:30

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दिल्ली विधानसभा सत्र: विधायकों ने ली शपथ, भाजपा की सत्ता में वापसी
  • किराड़ी से विधायक अनिल झा, बुराड़ी से संजीव झा और संगम विहार से चंदन चौधरी ने मैथिली में शपथ ली। भाजपा विधायक करनैल सिंह, जो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे, ने संस्कृत में शपथ ग्रहण की। 

  • 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली की सत्ता में वापसी की है। 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) 22 सीटों तक सिमट गई। 

Delhi / New Delhi :

दिल्ली/ दिल्ली विधानसभा का सत्र आज से शुरू हो गया है। सत्र की शुरुआत से पहले उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भाजपा विधायक अरविंदर सिंह लवली को प्रोटेम स्पीकर की शपथ दिलाई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलानी शुरू की। सबसे पहले मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ ली।

शपथ ग्रहण के दौरान विधायकों ने विभिन्न भाषाओं में शपथ ली। किराड़ी से विधायक अनिल झा, बुराड़ी से संजीव झा और संगम विहार से चंदन चौधरी ने मैथिली में शपथ ली। भाजपा विधायक करनैल सिंह, जो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे, ने संस्कृत में शपथ ग्रहण की। कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह ने पंजाबी में, जबकि भाजपा विधायक कपिल मिश्रा ने संस्कृत में शपथ ली।

भाजपा की सत्ता में वापसी

27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली की सत्ता में वापसी की है। 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) 22 सीटों तक सिमट गई। विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार करनैल सिंह ने आप के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को 20,998 वोटों से हराया। करनैल सिंह दिल्ली के सबसे अमीर विधायक हैं, जिनकी संपत्ति चुनाव आयोग के हलफनामे के अनुसार 259.67 करोड़ रुपये है।

भाजपा विधायक सतीश उपाध्याय ने कहा, "हम लोकतंत्र के इस मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं, यह गर्व की बात है। दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास की नई धारा बहेगी।"

'आप' की हार: प्रशांत किशोर ने बताईं तीन बड़ी गलतियां

राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 'आप' की हार के लिए तीन कारण गिनाए:

गवर्नेंस की कमी – प्रशांत किशोर के अनुसार, 'आप' सरकार की दूसरी पारी में शिक्षा को छोड़कर कोई बड़ा सुधार नहीं दिखा। जलभराव, मोहल्ला क्लीनिक की बदहाली और यमुना की सफाई में विफलता के चलते जनता में असंतोष बढ़ा।

राजनीतिक अस्थिरता – 'आप' कभी 'इंडिया' गठबंधन का हिस्सा बनी, तो कभी उससे दूर हुई। इससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हुई, जिससे दोनों ओर से नुकसान हुआ।

अस्थायी रणनीति और इस्तीफा विवाद – जब अरविंद केजरीवाल पर शराब घोटाले का आरोप लगा, तो उन्हें पहले ही इस्तीफा देकर नैतिक बढ़त लेनी चाहिए थी। लेकिन उन्होंने जेल से रिहा होने के बाद इस्तीफा दिया, जिससे जनता में नकारात्मक संदेश गया।

दिल्ली विधानसभा का पहला सत्र ऐतिहासिक रहा, जिसमें भाजपा ने सत्ता संभाली और 'आप' के पतन पर चर्चा हुई। अब यह देखना होगा कि भाजपा सरकार अपने वादों पर कितना खरा उतरती है और दिल्ली में विकास की नई दिशा तय कर पाती है या नहीं।