भारत: विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता और कृषि क्षेत्र में समृद्धि की ओर बढ़ता कदम - उपराष्ट्रपति

Sun 27-Apr-2025,08:37 PM IST +05:30

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भारत: विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता और कृषि क्षेत्र में समृद्धि की ओर बढ़ता कदम - उपराष्ट्रपति समावेशिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारी समृद्ध विरासत है – उपराष्ट्रपति
  • उपराष्ट्रपति ने किसानों को उत्पादक से उद्यमी बनने और कृषि में तकनीकी नवाचार अपनाने का आह्वान किया।

  • उन्होंने नागरिकों से राष्ट्र प्रथम की भावना को अपनाने और भारत के तेज विकास में योगदान देने का आग्रह किया।

Tamil Nadu / Chennai :

भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर में "विकसित भारत के लिए कृषि शिक्षा, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना" विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि भारत विश्व की सबसे प्राचीन और शांतिप्रिय सभ्यता है, जहां समावेशिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारी विरासत है। उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों के इतिहास में भारत ने समावेशिता और अभिव्यक्ति को सम्मान दिया है, और आज भारत विश्व का सबसे जीवंत लोकतंत्र है। उपराष्ट्रपति ने सभी नागरिकों से अपील की कि वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समावेशिता को राष्ट्रीय संपत्ति की तरह संरक्षित करें।

कृषि क्षेत्र पर बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने किसानों की समृद्धि को खाद्य सुरक्षा से जोड़ने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि किसानों को केवल उत्पादन तक सीमित न रहकर विपणन और मूल्य संवर्धन में भी भागीदार बनना चाहिए ताकि उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो सके। उन्होंने किसानों को उद्यमी बनने और सरकारी सहकारी व्यवस्थाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया।

श्री धनखड़ ने कृषि उपज के बड़े बाजार का उल्लेख करते हुए कहा कि कृषि उत्पादों में मूल्य संवर्धन से उद्योग भी फलेंगे-फूलेंगे। उन्होंने जोर दिया कि किसानों को शिक्षित करने और प्रौद्योगिकी से जोड़ने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की भूमिका अहम है।

राष्ट्रीय प्रगति पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत आज तेज आर्थिक विकास कर रहा है, बुनियादी ढांचे में असाधारण वृद्धि हो रही है और प्रधानमंत्री की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा उच्चतम स्तर पर है। उन्होंने नागरिकों से राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ देश के उत्थान में योगदान देने का आग्रह किया।

उर्वरकों पर दी जा रही भारी सब्सिडी का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि यदि यह राशि सीधे किसानों को दी जाए तो प्रत्येक किसान को सालाना लगभग 35,000 रुपये का लाभ हो सकता है। उन्होंने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों से आग्रह किया कि वे किसानों के लाभ के लिए इस दिशा में काम करें।

उपराष्ट्रपति ने कृषि में अनुसंधान और प्रयोगशालाओं तथा खेतों के बीच निर्बाध संपर्क की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र किसानों के लिए जागरूकता और नवाचार के जीवंत केंद्र बनें।

अंत में, श्री धनखड़ ने तमिल कवि-संत तिरुवल्लुवर के विचारों को याद करते हुए कहा कि किसान मानवता की आधारशिला हैं और कृषि सबसे सम्मानित पेशा है। इस कार्यक्रम में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि, मंत्री एन. कयालविझी सेल्वराज, कृषि सचिव वी. दक्षिणमूर्ति, अनुसंधान निदेशक डॉ. एम. रवीन्द्रन सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।