अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में भारत की बड़ी छलांग, इसरो का स्पैडेक्स मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च
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स्पैडेक्स मिशन अंतरिक्ष में दो यानों को जोड़ने (डॉकिंग) और अलग करने (अनडॉकिंग) की तकनीक का प्रदर्शन करेगा। यह मिशन इसरो द्वारा डिजाइन किए गए दो छोटे अंतरिक्ष यानों का उपयोग कर अंतरिक्ष डॉकिंग की प्रक्रिया को प्रदर्शित करेगा।
इसरो के इस साल के आखिरी मिशन ने भारत को अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में विशेषज्ञता रखने वाले दुनिया के चुनिंदा देशों—अमेरिका, रूस और चीन के क्लब में शामिल कर दिया है।
इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा, "स्पैडेक्स मिशन ने अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में भारत की आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित किया है। यह मिशन भविष्य के कई महत्वपूर्ण अभियानों, जैसे चंद्रयान-4 और अंतरिक्ष स्टेशन स्थापना, के लिए आधार तैयार करेगा।"
इसरो ने 2025 में कई महत्वाकांक्षी मिशनों की घोषणा की है। जनवरी 2025 में जीएसएलवी द्वारा एनवीएस-02 का प्रक्षेपण किया जाएगा। इसके अलावा, चंद्रयान-4 और अन्य मानव अंतरिक्ष मिशनों की तैयारी जारी है।
श्रीहरिकोटा, 30 दिसंबर 2024
SpaDeX Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार रात 10 बजे स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह मिशन श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया। इसरो के इस साल के आखिरी मिशन ने भारत को अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में विशेषज्ञता रखने वाले दुनिया के चुनिंदा देशों—अमेरिका, रूस और चीन के क्लब में शामिल कर दिया है।
क्या है स्पैडेक्स मिशन?
स्पैडेक्स मिशन अंतरिक्ष में दो यानों को जोड़ने (डॉकिंग) और अलग करने (अनडॉकिंग) की तकनीक का प्रदर्शन करेगा। यह मिशन इसरो द्वारा डिजाइन किए गए दो छोटे अंतरिक्ष यानों का उपयोग कर अंतरिक्ष डॉकिंग की प्रक्रिया को प्रदर्शित करेगा।
इस मिशन का उद्देश्य भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों, जैसे चंद्रयान-4 और मानव अंतरिक्ष उड़ानों, के लिए एक मजबूत तकनीकी आधार तैयार करना है। इसके माध्यम से अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने, उपग्रह मरम्मत, ईंधन भरने और मलबे को हटाने जैसी क्षमताओं को भी विकसित किया जाएगा।
कैसे होगी डॉकिंग प्रक्रिया?
- प्रक्षेपण के बाद दोनों अंतरिक्ष यान निचली वृत्ताकार कक्षा (470 किमी) में स्थापित होंगे।
- 24 घंटे के भीतर दोनों यान 20 किमी की दूरी पर होंगे और डॉकिंग प्रक्रिया शुरू होगी।
- यानों के बीच की दूरी धीरे-धीरे कम होगी—10 किमी, 5 किमी, 1.5 किमी, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर और 3 मीटर।
- डॉकिंग के बाद यान पावर ट्रांसफर और पेलोड संचालन का प्रदर्शन करेंगे।
- अंत में, दोनों यान अनडॉक कर अलग हो जाएंगे।
मिशन की तकनीकी विशेषताएं
- पीएसएलवी-सी60 रॉकेट ने 229 टन के कुल वजन के साथ दोनों यानों को पृथ्वी की ओर 55° झुकाव वाली कक्षा में स्थापित किया।
- दोनों यान उच्च सटीकता वाले ऑनबोर्ड प्रोपल्शन सिस्टम का उपयोग करके इंटर सैटेलाइट सेपरेशन और डॉकिंग प्रक्रिया को अंजाम देंगे।
- मिशन का समय चक्र लगभग 66 दिन का होगा।
इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ का बयान
इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा, "स्पैडेक्स मिशन ने अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में भारत की आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित किया है। यह मिशन भविष्य के कई महत्वपूर्ण अभियानों, जैसे चंद्रयान-4 और अंतरिक्ष स्टेशन स्थापना, के लिए आधार तैयार करेगा।"
उन्होंने बताया कि चंद्रयान-4 मिशन में डॉकिंग प्रक्रिया अनिवार्य है, क्योंकि इसमें कई मॉड्यूल एक साथ काम करेंगे। यह मिशन चंद्रमा पर उतरने और पृथ्वी पर वापस लौटने का एक बड़ा कदम साबित होगा।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का ट्वीट
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ट्वीट किया, "स्पैडेक्स मिशन भारत की स्वदेशी डॉकिंग तकनीक के विकास का प्रतीक है। भारत अब अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में विशेषज्ञता रखने वाले दुनिया के चौथे देश के रूप में उभर रहा है।"
मिशन की उपयोगिता
- अंतरिक्ष स्टेशन स्थापना: यह मिशन भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन के विकास के लिए एक प्रमुख कदम है।
- उपग्रह मरम्मत और ईंधन भरना: स्पैडेक्स के माध्यम से उपग्रहों की मरम्मत और पुनः उपयोग की संभावनाएं बढ़ेंगी।
- मलबा प्रबंधन: अंतरिक्ष मलबे को हटाने की तकनीक में भी यह मिशन मददगार साबित होगा।
- मानव अंतरिक्ष उड़ानें: मानव मिशनों के लिए आवश्यक डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक का विकास।
मिशन की चुनौतियां और संभावनाएं
- डॉकिंग प्रक्रिया को उच्चतम सटीकता और समयबद्धता के साथ अंजाम देना मिशन की प्रमुख चुनौती थी।
- अंतरिक्ष में तेज गति से घूमते यानों को जोड़ने और अलग करने की प्रक्रिया में तकनीकी खामियां मिशन को विफल कर सकती थीं।
- इसरो ने इन चुनौतियों को पार करते हुए अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में सफलता प्राप्त की।
भविष्य की योजनाएं
इसरो ने 2025 में कई महत्वाकांक्षी मिशनों की घोषणा की है। जनवरी 2025 में जीएसएलवी द्वारा एनवीएस-02 का प्रक्षेपण किया जाएगा। इसके अलावा, चंद्रयान-4 और अन्य मानव अंतरिक्ष मिशनों की तैयारी जारी है।