न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन बने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के नए अध्यक्ष

Tue 31-Dec-2024,12:46 AM IST +05:30

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न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन बने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के नए अध्यक्ष Former SC Judge Justice V Ramasubramanian
  • सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन ने आज राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला।

  • नई जिम्मेदारी संभालने के लिए आयोजित समारोह में आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी, महासचिव श्री भरत लाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

  • 2006 में मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के बाद उन्होंने कई न्यायालयों में सेवाएं दीं। 

  • 2019 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने और 2023 में सेवानिवृत्त हुए। अपने कार्यकाल में उन्होंने 102 ऐतिहासिक निर्णय दिए।

Delhi / New Delhi :

नई दिल्ली, 30 दिसंबर 2024
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन ने आज राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। इसी समारोह में झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति (डॉ.) विद्युत रंजन सारंगी ने आयोग के सदस्य के रूप में अपना कार्यभार संभाला। इससे पहले, एनसीपीसीआर के पूर्व अध्यक्ष श्री प्रियांक कानूनगो पिछले सप्ताह आयोग के सदस्य के रूप में शामिल हुए थे।

नियुक्ति और समारोह

इनकी नियुक्ति 21 दिसंबर 2024 को माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा की गई थी। नई जिम्मेदारी संभालने के लिए आयोजित समारोह में आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी, महासचिव श्री भरत लाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन ने अपने संबोधन में भारत की प्राचीन मानवाधिकार परंपराओं को रेखांकित किया। उन्होंने तमिल कवि थिरुवल्लुवर का हवाला देते हुए कहा कि मानवाधिकार भारत के सांस्कृतिक मूल में समाहित हैं।

न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन: न्याय और प्रतिबद्धता का सफर

30 जून 1958 को तमिलनाडु के मन्नारगुडी में जन्मे न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यन ने चेन्नई के रामकृष्ण मिशन विवेकानंद कॉलेज से रसायन विज्ञान में बीएससी और मद्रास लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। 1983 में वकालत शुरू करने के बाद उन्होंने 23 वर्षों तक मद्रास उच्च न्यायालय में काम किया।

2006 में मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के बाद उन्होंने कई न्यायालयों में सेवाएं दीं। 2019 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने और 2023 में सेवानिवृत्त हुए। अपने कार्यकाल में उन्होंने 102 ऐतिहासिक निर्णय दिए।

प्रियांक कानूनगो: बच्चों के अधिकारों के लिए समर्पित

मध्य प्रदेश के विदिशा के निवासी श्री प्रियांक कानूनगो ने एनसीपीसीआर के अध्यक्ष के रूप में दो कार्यकालों तक कार्य किया। बाल अधिकारों और शिक्षा पर काम करते हुए उन्होंने "भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय समाधान" पर जोर दिया। उनकी पुस्तक "पिंजरा-द केज" बच्चों के जीवन की गहन झलक प्रस्तुत करती है।

न्यायमूर्ति (डॉ.) विद्युत रंजन सारंगी: न्याय के संरक्षक

20 जुलाई 1962 को ओडिशा के नयागढ़ में जन्मे न्यायमूर्ति सारंगी ने कानून में उत्कृष्ट योगदान दिया। 2013 में उड़ीसा उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने और 2024 में झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश। उन्होंने 1,500 से अधिक फैसले लिखे और 152,000 से अधिक मामलों का निपटारा किया।

समर्पण और सहयोग का संकल्प

अपने संबोधन में न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यन ने मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए हितधारकों के सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास महत्वपूर्ण है।